शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

सभी सीखते रहे

कि हमारी ग़ल्तियों से सभी सीखते रहे और सज़ा हमें देते रहे
लहूलुहान देख कर भी वो हमारी ग़ल्तियों का इंतज़ार करते रहे

कोई भी नयी राह चुनोगे तो कुछ ग़ल्तियाँ हो ही जायेंगी
बेहद समझदार हैं वो, इसी लिये चार कदम पीछे चलते रहे

जानते हैं "इश्क़ आग़ का दरिया है, तैर के उस पार जाना है"
और वो किनारे पर खड़े हमारे जलने का इंतज़ार करते रहे

क्या सुनायें "राजीव" अपने तज़ुर्बों की ये कहानी अब तुम्हें
जितना भी हम सीखे, उससे कहीं ज़्यादा तो हम भुलाते रहे

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

तुम्हारी यादें

एक शाम जो मुझे नसीब हुईं तुम्हारी यादें
इस दिल को अज़ीज़ हो गयीं तुम्हारी यादें

पल भर भी तुम दूर नहीं फ़िर क्यूँ
तुम से ज़्यादा करीब हो गयीं तुम्हारी यादें

हर लम्हा तुम्हें याद करतें हैं फ़िर भी
कभी कम क्यूँ न हुईं तुम्हारी यादें

सावन की बूंदों में जब आंसू भी मिले
मेरी आँखों में भर आयीं तुम्हारी यादें

अजनबी चेहरों से भरी हर महफिल में
मुझे दोस्त बन कर मिल गयीं तुम्हारी यादें

तन्हा रातों में नींद मिल गई जो कभी
ख्वाबों की सहर पर मिल गयीं तुम्हारी यादें

वो हमराह हैं मेरी ये कुबूल है मगर
कभी हमसफर हो नहीं सकतीं तुम्हारी यादें

मोहब्बत की इस राह गुज़र में "राजीव"
तुम्हारी जगह ले नहीं सकतीं तुम्हारी यादें

रविवार, 24 मार्च 2013

ख़ूबसूरत लोग

कई ख़ूबसूरत लोगों के लिये अक्सर दुआ करता हूँ
इन्हें इसका आधा ही ख़ूबसूरत इंसान बनाया होता

ऐ ख़ुदा इन सभी को तूने सुन्दर सूरत के साथ साथ
इंसानी सीरत और तमीज़ का इल्म भी दिया होता

उस पर भी मुझसे क्या दुश्मनी थी आख़िर तेरी
कम से कम मेरा दोस्त रिश्तेदार न बनाया होता

शनिवार, 23 मार्च 2013

गधे को बाप बना ले

कहने को सभी को एक दूसरे ख्याल है
फिर भी ज़ेहन में बस रहा कोई मलाल है
आखिर खून है तो रंग कैसे न मिलेगा
जहाँ रिस रहा पीठ में लगा हर घाव है

गधे को अपना बाप बनाने की होड़ में
अपना उल्लू सीधा करने की जुगाड़ में
है कुछ इस तरह का आलम अब यहाँ
दिल में लगा खुदगर्ज़ी का बाज़ार है

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

रोहन

"ज़िन्दगी अचानक बहुत सारी गुज़र गयी
रोहन की बारवीं की परीक्षा ख़त्म हो गयी
अभी कल ही तो स्कूल में दाख़िल हुआ था
और देखो अब कॉलेज की तैयारी हो गयी"

शनिवार, 2 मार्च 2013

बंद करो

बहुत हुआ अब आग लगाना बंद करो
अपने ही घरों में सेंध लगाना अब बंद करो

अफवाहों को लगाम देने के साथ साथ
इधर की उधर करना अब बंद करो

ताश के पत्ते हैं और है केरम लूडो भी
छल कपट का खेल खेलना अब बंद करो


अपने दो टके के अहम् की जीत के लिए
अपने बच्चों का घर उजाड़ना अब बंद करो

प्यार मोहब्बत के अनमोल एहसासों को
खोटी अशर्फियों में तोलना अब बंद करो

खून में मिली नेतागिरी से देश संवारो
अपने ही खून से नेतागिरी अब बंद करो

घर के ही लोगों को छोटा बता कर
अपने कद का परचम लहराना अब बंद करो

नज़र आती हैं साफ़ चालाकियां तुम्हारी
बेकार में मुखोटे लगाना अब बंद करो

तुम को आदत होगी विष पीकर जीने की
अपनों के जीवन में ज़हर घोलना अब बंद करो

अगर मुमकिन नहीं ये तुमसे "राजीव"
बेलगाम घर से निकलना अब बंद करो

सोमवार, 14 जनवरी 2013

मकर संक्रांति

पिता का पुत्र से आज होगा मिलन
सूर्य देवता आयेंगे शनि के घर
ऋतू भी बदलेगी हेमंत से शिशिर
शुभ हो माघ मास का ये अवसर