रविवार, 19 सितंबर 2010

हिसाब

किस मिट्टी से बने हो
क्या क्या हिसाब लगाते हो
अपनी एक मुस्कराहट तक
लोगों से नहीं बाँटते हो
कोई और मुस्कुरा न दे कहीं
ज़रूर इस बात से डरते हो

कभी चवन्नी, कभी अट्ठन्नी
कभी कभार रुपैया भी देते हो
सिग्नल के भिखारी के बहाने
ख़ुदा पर हिसाब चढा देते हो
अपनी ऐसी गाडी की ठंडक में
भिखारी से ज्यादा खुश होते हो

कोई मदद करे जो मुश्किल में
इरादों पर उसके शक करते हो
क्यूँ ये हाथ बढाता है
फ़ौरन सोचने लगते हो
अपनी खैरीयत से ज्यादा
उसके फ़ायदे से परेशान होते हो

ग़लती से कभी जो देते हो ख़ुशी
बरसों उसका गाना गाते हो
सैकड़ों पल जो मिले सभी से
उनसे खुश नहीं होते हो
इतने पर भी दिल नहीं भरता
बेवजह लोगों को सताते हो

अपनी ख़ुशी की ख़ुशी भूल कर
औरों की ख़ुशी से जलते हो
अपने सितारों पे यकीन से ज्यादा
औरों की किस्मत से डरते हो
होई है वही जो राम रची राखा
इतनी सी बात नहीं समझते हो

कितनी कंजूसी और बेरुखी से
अच्छे कामों की तारीफ करते हो
कहीं सच में न हो जाएँ पूरी
डरते डरते बेमन दुआएं देते हो
अपनी शान में इस कदर डूबे हुए
खुदा ही जाने तुम कैसे जीते हो

न बनाया तुमने, न मिटाया तुमने
रंगमंच की बस एक कठपुतली हो
इस खेल के भीड़ भरे मेले में
कुछ सालों के बस मुसाफिर हो
मुसीबत में किस का हाथ थामोगे
जो सबसे यूँ नज़र बचाते हो

जीत है मेहनत और हार है किस्मत
अजीब ख्यालों में खुश रहते हो
जीतने वाला सरकार, जो हारा वो बेकार
यूँ भी दिल बहला लेते हो
लकीरें एक ही ख़ुदा ने बनायीं हैं
वक़्त भी बदल जायेगा भूल जाते हो

पूछता हूँ अक्सर ख़ुदा से 'राजीव'
अब ये कैसा इंसान बनाते हो
न प्यार, न मोहब्बत, न ईमान
आज कल इसमें क्या मिलते हो
ये भी तो मिट्टी में ही मिलेगा
क्या इसको नहीं बताते हो

गुरुवार, 2 सितंबर 2010

जन्माष्टमी

श्रावण की अष्टमी थी
रोहिणी नक्षत्र था
घनघोर बारिश थी
कारागार का कमरा था
आधी रात के करीब
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था

देवकी की उलझन थी
कसौटी पर ममता थी
बच्चे को आखिर बचाना था
यशोदा को माँ कहलाना था
ऐसी अनहोनी के बीच
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था

विधि का विधान नियत था
रक्षा बंधन से आठवा दिन था
देवकी वासुदेव का आठवा बच्चा था
मामा का वध करने जन्मा था
कंस के अत्याचारों का अंत करने
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था

एक माँ की कोख धन्य होनी थी
एक निहाल न्योछावर होनी थी
राधाकिशन एक नाम होना था
रुक्मणी को भी पत्नी बनना था
रासलीला से अपनी रिझाने
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था

मुरली की धुन से मोह लेना था
ग्वालों के साथ गाय चराना था
यदुवंशियों का मान बढ़ाना था
द्वारका और जग उद्धार करना था
गोवर्धन परबत उठाने के लिए
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था

दुर्योधन को धूल चटानी थी
द्रौपदी की लाज बचानी थी
युद्ध का रुख सही रखना था
अर्जुन का सारथी बनना था
गीता का अनमोल पाठ पढ़ाने
श्री कृष्ण का जन्म हुआ था