गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

कमाल करते हो यार

एक दोस्त मुश्किल में है
है अकेला और लाचार भी
बरसों पुराना यार है
सुख दुख का साथी भी
और तुम्हारे पास वक़्त नहीं
कंधे पर रखने को हाथ नहीं
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

तुमको पता है बड़ा खुद्दार है
पहचान है उसका स्वाभिमान भी
ज़िन्दगी की सबसे कठिन घडी है
मांगेगा नहीं मगर वो मदद भी
और तुम अजीब दलीलें देते हो
कि उससे बात करने से डरते हो
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

सब पर बुरा वक़्त गुज़रता है
रहता है कभी ज़्यादा देर भी
दुआओं में गज़ब का असर है
बढ़ जाता है उससे हौसला भी
और तुम ये बात नहीं सोच पाए
सहारे के लिए बस पैसे जोड़ पाए
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

पूछते हो उससे क्या हाल है
टटोलते हो उसकी नब्ज़ भी
कहता है वो सब ठीक है
करता है कुछ संकोच भी
और पास नहीं ये लव्ज़ तुम्हारे
डरना मत मैं हूँ साथ तुम्हारे
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

ये अधुनिक दुनिया बड़ी कमाल है
फ़टाफ़ट सिमट जाती हैं दूरियां भी
गुफ्तगू करना तो बड़ा आसान है
चाहिए नीयत और सही वक़्त भी
और तुम से इतना सा नहीं हुआ
जुम्मे के जुम्मे एक फ़ोन नहीं हुआ
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

अपने हालात पर वो ख़ुद हैरान है
पूछता है ख़ुदा से ये सवाल भी
सितारों की अबके कैसी अन बन है
कि गुम गए सारे सहारे भी
और तुम ये भी नहीं कर सकते
दो कदम साथ नहीं चल सकते
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

तुम को भी तो जांचा परखा है
करीब से महसूस की है दोस्ती भी
धीरे धीरे दिल का दरवाज़ा बंद हुआ है
खुलती नहीं अब कोई खिड़की भी
और तुम ये कभी देख नहीं पाए
कितने आंसू खोये कितने ज़ख्म पाए
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

मसरूफ हो बहुत सारा काम है
हैं कई सारी ज़िम्मेदारीयां भी
उसके शहर भी जाना होता है
जुड़े हैं वहां पचास काम भी
और तुम उससे शिकायत करते हो
कि अपना दर्द क्यूँ नहीं बाँटते हो
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

मिलते भी हो तो वक़्त कहाँ है
चाहिए मय और मयखाना भी
एक मुसाफिर प्यासा बैठा है
कहना है उसे अपनी कहानी भी
और तुम को ख़ुद से फुर्सत कहाँ
उसकी ख़ामोशी सुनने का मन कहाँ
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

अपनी काबलियत पर पूरा भरोसा है
कायम है वहीँ उसका ईमान भी
मेहनत करके ही पैसे कमाना है
नहीं चाहिए उधार का एहसान भी
और तुम मोल आंकने से कतराते हो
अपने दोस्त के लिए हिचकिचाते हो
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

चाहो तो सब कुछ हो सकता है
हो सकती है दिल कि बात भी
चेहरे के नकाब बस उतरना है
जम जाएगी फिर महफ़िल भी
और तुम उसके दायरे देख कर
चलते हो अपना दायरा खींच कर
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

चलो मान भी लिया कि वो ज़िद्दी है
बांटेगा नहीं कभी अपने दर्द भी
तुम्हारा तो अब भी ख़ास दोस्त है
लगी है तुम्हें उसकी फिक्र भी
और तुम अपना हाथ नहीं बढ़ा पाए
ऐसे वक़्त भी आगे नहीं बढ़ पाए
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

हालात देख कर अंदाज़ा लगता है
कहती है उसकी परेशानी भी
फिर भी हमेशा मुस्कुराता रहता है
खिलखिलाती रहती है हंसी भी
और तुम उसकी आवाज़ नहीं परख पाए
अपनी तल्लीनता से नहीं निकल पाए
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

कहते हो अकेलेपन में दम घुटता है
डूब जाता है अक्सर हौसला भी
आँखों के सामने जब किनारा डूबता है
भारी पढता है ये सदमा भी
और तुम बुलाने पर भी नहीं आये
अपनी चिंता को बांटने नहीं आये
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

तुमसे अब भी नहीं कुछ मांगता है
करता नहीं कोई शिकवा शिकायत भी
दोस्ती का आज कल यही दस्तूर है
निभाता है बराबर वो रस्म भी
और तुम हो कि उससे डरते हो
गले लगा कर क्यूँ नहीं कहते हो
क्या बात करते हो यार
तुम भी कमाल करते हो यार

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

महादेव

तुलसी इस संसार में देवों के देव महादेव पधारे हैं
अपनी पूरी कहानी फिर सुनाने महादेव पधारे हैं
हर शाम अपनी महिमा से संसार को मोह लेने
और पूरे परिवार को साथ जोड़ने महादेव पधारे हैं

यूँ तो बड़े, बूढ़े, बच्चे, जवान सभी उन पर रीझे हैं
महिलाओं के मन उन पर खास तौर से ही रीझे हैं
वैसे भी एक अच्छे वर का वही तो देते हैं वरदान
इस बार मगर स्त्रियों के मन महादेव पर ही रीझे हैं

शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष और शेर की खाल लपेटे हुए
हाथ में त्रिशूल, डमरू और गले में सर्प लपेटे हुए
अपनी भोली मुस्कान के साथ ऐसा जादू है कर दिया
महिलाऐं घूम रही हैं उन्हें ख्वाबों ख्यालों में लपेटे हुए

मनुष्य के जिस शरीर में महादेव ने खुद को रचा है
सभी महिलाओं को वो शरीर अंग अंग खूब रचा है
पार्वती की जगह खुद को महादेव के संग सोच कर
कैलाश से धरती तक उनसे मिलन का स्वांग रचा है

रविवार, 9 सितंबर 2012

ठाकरे

पाकिस्तान को ठीक कर देंगे, अमेरिका चीन को ठीक कर देंगे
बिहार और यू पी को ठीक कर देंगे, पूरे देश को ठीक कर देंगे
कहता है ये ठाकरे परिवार का मुखिया, बेटा, पोता, भतीजा
'हमारा बस चले तो पूरी दुनिया को मराठी माणूस कर देंगे'

विश्वास नहीं होता पिछली तीन पीढ़ी से इनका यही राग है
दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी मगर इनका बस यही राग है
शेर की ख़ाल में छुपे इस रट्टू तोते की यही है असली कहानी
सियासत हो या हो विपक्ष की कुर्सी, हर हाल में यही राग है

पिछले तीस साल में तुम इतना सा काम नहीं कर पाए
मुंबई में लोकल ट्रेन की भीड़ के हालात नहीं सुधार पाए
आखिर किस मूंह से कहते हो इस देश को ठीक कर दोगे
तुम तो अपने वोट बैंक का जीवन यापन नहीं सुधार पाए

अगर इतना ही ताकत है बाजुओं में तो मैदान में आओ
ज्यादा नहीं बस ज़रा से दो काम मुंबई में कर के दिखाओ
ऑटो सही मीटर से चलवाओ, जहाँ जाना हो वहां चलवाओ
और इस शहर से गन्दगी का नामो निशाँ मिटा कर दिखाओ

भाई भतीजावाद में सिर्फ कुर्सियों के लिए हाथ न मिलाओ
मिल कर मुंबई को दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर बनाओ
मुझे यकीन है तुम्हारे एक इशारे पर ये काम मुमकिन है
अपनी संस्थाओं को एकता और अखंडता का पाठ पढाओ

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

डाक्टरी

तुलसी इस संसार में डाक्टर की है महिमा न्यारी
इलाज के नाम पर क्या खूब चल रही दुकानदारी
चल रही दुकानदारी, आसानी से दवा नहीं मिलती
डाक्टर की तय दुकान के सिवाय कहीं नहीं मिलती

एक डाक्टर दूसरे का बताया इलाज नहीं मानता
कोई टेस्ट, कोई रिपोर्ट, कोई बात ही नहीं मानता
बात ही नहीं मानता, न समझता किसी की मजबूरी
मरीज की जेब काट कर भर रहा है अपनी तिजोरी

समाज के हर पहलू की तरह ये भी भ्रष्ट हो गया है
सबसे कुलीन कार्य, व्यापार और धंधा बन गया है
धंधा बन गया है, बिक रही है कौड़ियों में शर्म सारी
चिकित्सकों की लालसा है देश की सबसे बड़ी बीमारी

बुधवार, 1 अगस्त 2012

कन्यादान

"तुलसी इस संसार में अब होता नहीं कन्यादान
कलयुग की नयी रीत में हो रहा है बालक दान I
हो रहा बालक दान, राम की महिमा न्यारी
मात पिता के सुख दुःख में बेटी है बेटे पर भारी II"

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

जगजीत सिंह

ख़ुदा का शुक्र है मुझसे ये गुस्ताख़ी नहीं हुई
गुलज़ार साहब से पहले तुम्हरी नज़्म नहीं हुई
यकीनन उसकी मर्ज़ी थी जो आज बात बन गयी
उनकी नज़्म होते ही ख़यालों को सहर मिल गयी

ये क्या बात हुई कि तुम ख़ुदा को प्यारे हो गए हो
मेरी दुनिया से हमेशा के लिया विदा हो गए हो
वो ख़ुदा ही बताये तुम उसको कब प्यारे नहीं थे
वो जग जीत ही गए जिस जग को मोहने आये थे

कई महीने हो गए सुने की तुम यहाँ से चले गए
कुछ को अनाथ और कितनों को मायूस कर गए
अगर ये सच भी है तो इस बात का ग़म कैसे करूँ
ख़ुदा की मर्ज़ी के आगे फ़रियाद किस हक़ से करूँ

अपने जीते जी तुम्हारे होने की ख़ुशी कहीं ज़्यादा है
इसी ख्याल के सहारे तुम्हारे जाने का ग़म ज़रा कम है
शुक्रगुज़ार हूँ ख़ुदा का जो तुम्हें ज़मीन पर उतारा
कुछ वक़्त जो तुमने हम इंसानों के साथ गुज़ारा

तुम्हारे होने से ही ख़ुदा का यकीन पक्का हुआ
इस भरी दुनिया में कहने को कोई अपना हुआ
जब से होश संभाला है तुम्हारी आवाज़ ही सहारा है
तुम्हारी ग़ज़लें ही ज़िन्दगी का मक्ता और मिस्रा है

आवाज़ नहीं मरहम है, मेरी कायनात की सरगम है
ज़ख्म भर दे गुनगुना कर, किस दवा में ऐसा दम है
किसी नेक करम की दुआ होगी ज़माने भर के वास्ते
कोई हाल हो या हालात, तय हो जाते हैं सभी रास्ते

कभी दोस्त, कभी महबूबा, कभी गुरु और कभी ख़ुदा
कभी ख़ुशी, कभी ग़म, कभी महफ़िल और कभी तन्हा
हर रिश्ते, हर एहसास को मेरे ही ख़यालों से चुना जैसे
आवाज़, कलाम, मौसिकी के धागों से फिर बुना जैसे

अन्फोर्गेटएबल्स से हुई इब्तेदा में ये तय हो गया था
एक फ़रिश्ता इंसान बन कर ज़मीन पर उतर आया था
बात जो निकली है यकीनन बड़ी दूर तलक जाएगी
तेरी आवाज़ के सहारे ज़िन्दगी अच्छी गुज़र जाएगी

न विनायक को पहचानता, न ही शिव को ढूँढ पाता
न नारायण मिलते, न राम और कृष्ण को देख पाता
न माँ की ज्योती मिलती, न मिटता मन का अँधेरा
न मिलता गुरु का ज्ञान, न पूरी होती शाम, न सवेरा

मत पूछो मेरे क्या थे, पूछो क्या हो और रहोगे
आख़िरी दम तक मेरी साँसों में धड़कते रहोगे
तुम्हरी ग़ज़लों, नज़्मों, भजनों का गज़ब सहारा है
मुझे याद नहीं कोई भी दिन इनके बग़ैर गुज़ारा है

इस जहाँ में तो चाह कर भी मिल न पाया तुमसे
अपनी कोई नज़्म भी कभी कह न पाया तुमसे
फ़राज़ कहते हैं जो भी बिछड़े हैं, मिलते नहीं शायद
फिर भी तू इंतज़ार कर, हम कभी मिल सकें शायद

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

यह शिक्षा

यह शिक्षा कैम्पियन की तो नहीं हो सकती
डार्लिंग, यह शिक्षा फादर जो की नहीं हो सकती

आगे बढ़ कर, मदद कर के, दोस्ती का मान रखो
पीठ पीछे फायदा उठा कर, छल कपट का खेल खेलो

हर शक को बेबुनियाद बता कर, सच का ढोंग रच कर
सीना तान कर दोस्त के विश्वास से गन्दा खेल खेलो

और अचानक एक रोज़ रंगे हाथों पकडे जाने पर
घर से निकाल कर अपनी ताकत का पूरा खेल खलो

यह शिक्षा कैम्पियन की तो नहीं हो सकती
डार्लिंग, यह शिक्षा फादर जो की नहीं हो सकती