मंगलवार, 11 सितंबर 2012

महादेव

तुलसी इस संसार में देवों के देव महादेव पधारे हैं
अपनी पूरी कहानी फिर सुनाने महादेव पधारे हैं
हर शाम अपनी महिमा से संसार को मोह लेने
और पूरे परिवार को साथ जोड़ने महादेव पधारे हैं

यूँ तो बड़े, बूढ़े, बच्चे, जवान सभी उन पर रीझे हैं
महिलाओं के मन उन पर खास तौर से ही रीझे हैं
वैसे भी एक अच्छे वर का वही तो देते हैं वरदान
इस बार मगर स्त्रियों के मन महादेव पर ही रीझे हैं

शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष और शेर की खाल लपेटे हुए
हाथ में त्रिशूल, डमरू और गले में सर्प लपेटे हुए
अपनी भोली मुस्कान के साथ ऐसा जादू है कर दिया
महिलाऐं घूम रही हैं उन्हें ख्वाबों ख्यालों में लपेटे हुए

मनुष्य के जिस शरीर में महादेव ने खुद को रचा है
सभी महिलाओं को वो शरीर अंग अंग खूब रचा है
पार्वती की जगह खुद को महादेव के संग सोच कर
कैलाश से धरती तक उनसे मिलन का स्वांग रचा है

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