गुरुवार, 6 सितंबर 2012

डाक्टरी

तुलसी इस संसार में डाक्टर की है महिमा न्यारी
इलाज के नाम पर क्या खूब चल रही दुकानदारी
चल रही दुकानदारी, आसानी से दवा नहीं मिलती
डाक्टर की तय दुकान के सिवाय कहीं नहीं मिलती

एक डाक्टर दूसरे का बताया इलाज नहीं मानता
कोई टेस्ट, कोई रिपोर्ट, कोई बात ही नहीं मानता
बात ही नहीं मानता, न समझता किसी की मजबूरी
मरीज की जेब काट कर भर रहा है अपनी तिजोरी

समाज के हर पहलू की तरह ये भी भ्रष्ट हो गया है
सबसे कुलीन कार्य, व्यापार और धंधा बन गया है
धंधा बन गया है, बिक रही है कौड़ियों में शर्म सारी
चिकित्सकों की लालसा है देश की सबसे बड़ी बीमारी

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