मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

अपना ही अंश

जब चेहरे की खुशी गुम होने लगे
और आँखों में नमी ही रहने लगे
जब होठों पर मुस्कान रुकने से बचे
और खामोशी ढेरों बातें करने लगे
तुम दिल में झाँक कर देख लेना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा

जब किनारे तक पहुंचना मुश्किल लगे
और रस्ते में साँस टूटने लगे
जब दवा भी अपना काम न करे
और दुआओं पर शक होने लगे
तुम ख़ुद को हौसला देना मत भूलना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा

जब वक्त जैसे ठहरा सा लगे
और तारीखों का फ़िर भी हिसाब लगे
जब इंतज़ार हो सुबह की दस्तक का
और शाम के साए लिपटनें लगें
तुम चाँद को सूरज का पता दे देना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा

जब शिकवे शिकायत कहीं जुड़ने लगें
और मीठी यादों से उलझने लगें
जब प्यार और विश्वास की ज़रूरत हो
और मन के मैल उन्हें धोने लगें
तुम अपना हाथ बढ़ाना मत भूलना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा

जब दिल में धुक धुक होने लगे
और टीस का कोई पता न लगे
जब ज़ख्म का जिस्म पर निशान न हो
और दर्द से दामन भरने लगे
तुम उसको बाँहों में भर लेना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा

जब उम्मीद की किरण बुझने लगे
और आस के मोती बिखरने लगें
जब ज़िन्दगी बेईमानी करने लगे
और चुप चाप अलविदा कहने लगे
तुम दो कदम साथ बस दे देना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा