शनिवार, 8 मार्च 2014

मोहब्बत

होती है दुनिया में, यकीनन मोहब्बत होती है
बस कम्बख्त इसकी उम्र बड़ी छोटी होती है

मचलती है, सुलगती है, दहकती है ज़ोर से
अपने पूरे शबाब पर महकती है पुरज़ोर से
अचानक ठहरती है, बिछड़ती है, बिखरती है
और बुझ कर ये फिर से आवारा भटकती है
... कम्बख्त इसकी उम्र बड़ी छोटी होती है

किसी अंजाने सफ़र में, कोई पहचाने रास्ते पर
बारिश कि फुहारों में, किसी सनसेट पॉइंट पर
ख़ामोशी से कभी छम छम कर के लिपटती है
ज़रा क़रीबी बढ़ते ही ये फिर दूर होने लगती है
... कम्बख्त इसकी उम्र बड़ी छोटी होती है

ढूंढती एक नज़र, झुक कर उठती एक नज़र
भरी भीड़ में रुक रुक कर जुड़ती एक नज़र
आँखों ही आँखों में हर कहानी शुरू होती है
उन्हीं आँखों के सैलाब में फिर ये डूबती है
... कम्बख्त इसकी उम्र बड़ी छोटी होती है

पल भर की, चंद लम्हों की या एक मौसम की
दिल की, रूह की, दर्द की या सिर्फ जिस्म की
कोई नीयत हो भूख सौ फ़ीसदी सच्ची होती है
कितनी भी छोटी हो मोहब्बत अच्छी होती है

होती है दुनिया में, यकीनन मोहब्बत होती है
बस कम्बख्त इसकी उम्र बड़ी छोटी होती है

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