शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

रोहन

तुझसे ही जुडे हैं ख्वाब मेरे
जुडी हैं तुझसे खुशियाँ मेरी
आसमान पर लिख़ा हो नाम तेरा
है आरज़ू यही, यही है ख्वाहिश मेरी

गुज़रने को है बस बचपन तेरा
जवानी दे रही देहलीज़ पर दस्तक
तुझे देख कर इस ख़याल भर से ही
खून में दौड़ जाती है जवानी मेरी

मुझसे लंबा हो कर ख़ुश होता है
बेवजह बात बात पर जूझता है
मुझसे कहीं ऊंचा तेरा कद होगा
फक्र से गर्दन ऊंची हो जाएगी मेरी

मिलेंगे बहुत से दोस्त और यार तुझे
कुछ समझायेंगे कुछ भटकायेंगे तुझे
हसीं खेल में अपनी मंजिल मत भूलना
गाँठ बाँध कर रखना हमेशा ये बात मेरी

हर बार कोई साथ नहीं होता
हर रास्ता आसान नहीं होता
अपना सफ़र ख़ुद तय करना पड़ता है
पुकार लेना जब कभी याद आ जाये मेरी

ज़िन्दगी का कोई शोर्ट कट नहीं होता
बिना मेहनत कोई कामयाब नहीं होता
मरे बगैर स्वर्ग नहीं मिलता
सच कहा करतीं थीं नानी मेरी

खुदगर्ज़ी हमेशा रास्ता भटकाएगी
ख़ुद्दारी अपनी जगह ख़ुद बनाएगी
मासूमियत और ईमान बचाए रखना
हर राह पर साथ चलेंगी दुआएं मेरी

गरीबों, बेसहारों की मदद करना
दुश्मनों पर भी रहम करना
रखना वक़्त ख़ुद और ख़ुदा के लिए
यूँ समझ ये ख़ास नसीहत है मेरी

सरपट दौड़ता वक़्त भागता जायेगा
कल तू अपने पैरों पर खड़ा हो जायेगा
बादलों के पार अपनी दुनिया बसाएगा
एक दुआ और कुबूल हो जाएगी मेरी

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