आज़ादी की कैसी त्रेसठवीं सालगिरह मन रही है
कोलाहल के पीछे बैठी भारत माँ सुबक रही है
शहीद हुए थे क्या बापू और भगत इसी दिन के लिए
टुकड़े भी तो कर दिए थे मज़हब की सहूलियत के लिए
लिए खून पसीने से लथ पथ बच्चे की लाश गोद में
काश्मीर, मनीपुर और कभी बंगाल को ताक रही है
सोने की चिड़िया को पहले मुग़लों फिर अंग्रेजों ने लूटा
बड़ा वक़्त लगा और खून बहा फिर उनसे पीछा छूटा
तब ये किसने सोचा था अपने ही बच्चे खुदगर्ज़ हो जायेंगे
नदी, पहाड़, भाषा के लिए एक दुसरे के दुश्मन हो जायेंगे
देश की बागडोर सम्हालने वाले हो गए हैं अब मौसेरे भाई
सैकड़ों करोड़ रुपये की हर रोज़ खुले आम चोरी हो रही है
प्रजातंत्र के असली मायने गुंडागर्दी और लूट खसूट हो गए हैं
देश चलाने के लिए विचारों के नाम पर सैकड़ों दल हो गए हैं
जिसको जहाँ मौका मिलता है अपना उल्लू सीधा करता है
साल दो साल में ही साधारण कार्यकर्ता बड़ा सेठ हो जाता है
चन्दे के नाम पर है सुरक्षा,नेताओं का अब बस यही है पेशा
व्यापारियों से सांठ गाँठ में स्विस बैंक की तिजोरी भर रही है
कुछ आलिशान शहर बना दिए हैं उन्नति के नाम पर
एक बदहवास सी ज़िन्दगी दी है सफलता के नाम पर
ट्रेन और बस की त्रास छोडो, पैदल चलने को जगह नहीं है
दो वक़्त की रोटी क्या कहें, अब तो पीने को पानी नहीं है
एक तरफ है बड़ी इमारतों, कारों और दौलत की चका चौंध
एक तरफ गरीबी की रेखा चुप चाप खडी तमाशा देख रही है
कायदे क़ानून लागू होंगे, रिश्वत के हाथों नहीं बिकाऊ होंगे
इस पावन धरती पर रोटी, कपडा, मकान के हक बराबर होंगे
कौन फिर एक बार इस देश को सौदागरों से आज़ादी दिलाएगा
त्रेसठ साल पहले देखा सपना एक दिन वो सपूत पूरा करवाएगा
इस कोलाहल से छुपकर बैठी, रोती सुबकती भारत माता
आसमान पर टक टकी बांधे शायद यही सवाल पूछ रही है
बढ़िया लेख
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
उठे जहाँ भी घोष शांति का, भारत, स्वर तेरा है....(जय भारत.)
प्रथम स्वतंत्रता दिवस से जुडी कुछ दुर्लभतम तस्वीरें तथा विडियो
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसादर
समीर लाल
आज़ादी के बहाने बढया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
Excellent expression Rajeev!
जवाब देंहटाएंJai Hind Sir! I am actually a big sucker for such pessimistic expression. In fact you'll find this as an overriding emotion in whatever I try to write on this subject. But off-late I have refrained from posting it on public domains. Unless it leads everyone to the second step, as in, an action point. The next logical step. I think to leave it at thought provoking "sawal" is being "inconsequential". Aapse guzarish hai sir... "Jawab" post karein ;)
जवाब देंहटाएंMINDBLOWING----MIRROR IMAGE ARTICLE BHAI.
जवाब देंहटाएंPARIVARTAN LANE KE LIYA AAB KUCH SOCHANA JARURI HO GAYA HAI
Badiya aalekh .......Subhkamnayen
जवाब देंहटाएंVery thoughtful expression Rajeev... all seems to be so true.
जवाब देंहटाएंA very precise picture of the present scenario of our beloved nation... an eye opener for all thinking Indians... Ab kiske hawale hai watan sathiyon? Great work Rajeev!
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