जब चेहरे की खुशी गुम होने लगे
और आँखों में नमी ही रहने लगे
जब होठों पर मुस्कान रुकने से बचे
और खामोशी ढेरों बातें करने लगे
तुम दिल में झाँक कर देख लेना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
जब किनारे तक पहुंचना मुश्किल लगे
और रस्ते में साँस टूटने लगे
जब दवा भी अपना काम न करे
और दुआओं पर शक होने लगे
तुम ख़ुद को हौसला देना मत भूलना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
जब वक्त जैसे ठहरा सा लगे
और तारीखों का फ़िर भी हिसाब लगे
जब इंतज़ार हो सुबह की दस्तक का
और शाम के साए लिपटनें लगें
तुम चाँद को सूरज का पता दे देना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
जब शिकवे शिकायत कहीं जुड़ने लगें
और मीठी यादों से उलझने लगें
जब प्यार और विश्वास की ज़रूरत हो
और मन के मैल उन्हें धोने लगें
तुम अपना हाथ बढ़ाना मत भूलना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
जब दिल में धुक धुक होने लगे
और टीस का कोई पता न लगे
जब ज़ख्म का जिस्म पर निशान न हो
और दर्द से दामन भरने लगे
तुम उसको बाँहों में भर लेना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
जब उम्मीद की किरण बुझने लगे
और आस के मोती बिखरने लगें
जब ज़िन्दगी बेईमानी करने लगे
और चुप चाप अलविदा कहने लगे
तुम दो कदम साथ बस दे देना
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
कोई अपना ही अंश होगा जो दर्द से गुज़र रहा होगा
well written my javed akthar. keep it up.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ... बस इतनी सी गुज़ारिश है कि मुझे राजीव ही रहने दो और जावेद साहब का नाम यूँ ख़राब न करो.
जवाब देंहटाएंGreat poetry. Also hope aapka koi ansh dard se na guzare :)
जवाब देंहटाएंbahot khoob :)
जवाब देंहटाएं'Ansh' ka toh pata nahin janab...
Anshu zaroor guzar karta hai :)
Kuch dard khoote se baandh rakein hain...
Waqt ab unki rakhwali mein katta hai.